सफलता और असफलता के चक्रव्यू में फसी जिन्दगी
किसी ने सही कहा है की जिन्दगी ऐसी अबूझ पहली है जिसे जिसने जितना समझा वो उतना ही जिन्दगी के सम्बन्ध में नासमझ या कहे अन्जान होता गया | ,,, जिन्दगी तो एक ऐसा खेल है , जिसे खेलना तो सबको पड़ता है|पर कुछ लोग उसमे हर दम जीतते रहते हैं और खुशिया मानते हैं और कुछ के नसीब में बस होती है मायूशी और हर दम दुखो की बरसात ... खेर जिन्दगी के दो पुत्र और भी है जिन्हें हम सफलता और असफलता के नाम से जानते हैं | यह दोनों हर दम साथ - साथ ही रहते है और चुकीं हैं तो यह दोनों सगे भाई ही पर दोनों का काम कुछ अलग जरुर है | हा कुछ - कुछ समानता भी है इनमे पहली बात तो यह किसी के भी सगे नहीं होते हैं | कभी किसी के गर मातम मनवा देते हैं , तो किसी के घर खुशियों का माहोल बना देते है | इनकी कहानी भी जिन्दगी की तरह ही अबूझ है | जिसे जितना समझन...